रिया चक्रवर्ती के मीडिया ट्रायल के खिलाफ 2500 से ज्यादा लोगों और 60 ऑर्गेनाइजेशन ने एक ओपन लेटर साइन किया है। फेमिनिस्ट वॉयस नाम के प्लेटफॉर्म पर इस लेटर को साइन करने वालों में एक्ट्रेस सोनम कपूर, शिवानी दांडेकर, डायरेक्टर जोया अख्तर, गौरी शिंदे, अनुराग कश्यप और स्टैंडअप कॉमेडियन अदिति मित्तल समेत कई बॉलीवुड सेलेब्स भी शामिल हैं। लेटर कि शुरुआत में मीडिया से पूछा गया है, "हमें आपकी चिंता हो रही है। क्या आप ठीक हैं?"
'पत्रकारिता की पेशेवर नैतिकता क्यों छोड़ दी'
लेटर में आगे लिखा है- जब हम आपके द्वारा रिया चक्रवर्ती का विच-हंट देखते हैं, तो यह नहीं समझ पाते कि आपने पत्रकारिता की हर पेशेवर नैतिकता को क्यों त्याग दिया है? मानवीय शालीनता और मर्यादा के हर सिद्धांत की बजाय आपने अपने कैमरा मेंबर्स के साथ एक युवा महिला के फिजिकल असॉल्ट को चुना। उसकी निजता का हनन करते हुए 'रिया को फंसाओ' ड्रामा के लिए झूठे आरोपों पर ओवरटाइम काम किया।
'आपको सिर्फ एक कहानी का जुनून सवार'
लेटर में लिखा है- आपको केवल एक कहानी बनाने का जुनून सवार हो गया है: एक युवा महिला जो अपने फैसले खुद करती है, जो बिना शादी के अपने प्रेमी के साथ रहती है और जो संकट में डमसेल की तरह काम करने की बजाय खुद के लिए बोलती है। नैतिक रूप से संदिग्ध चरित्र है और किसी भी कीमत पर अपराधी मानी जाती है। बिना जांच के, बिना कानूनी प्रक्रिया के। उसके अधिकारों का सम्मान कीजिए।
'आप सलमान, संजय के प्रति दयालू थे'
सेलेब्स ने लेटर में आगे लिखा है- हम जानते हैं कि आप अलग हो सकते हैं। हमने इसी वर्ल्ड में आपको सलमान खान और संजय दत्त के प्रति दयालु होते, उनके परिवार, फैन्स और करियर के बारे में सोचने का आग्रह करते देखा है।
लेकिन जब एक लड़की की बात आई, जिस पर कि किसी तरह का अपराध साबित नहीं हुआ है, आपने उसके चरित्र पर कीचड़ उछालना शुरू कर दिया। उसे और उसके परिवार को गिराने के लिए ऑनलाइन भीड़ इकट्ठी कर ली। गलत मांगों को हवा दी और उसकी गिरफ्तारी को अपनी जीत बताया। जीत किस पर? इस पर कि लड़की ने एक ऐसे समाज में जीने की हिम्मत दिखाई, जिसे उसकी आजादी से परेशानी है?
'महिलाओं को विक्टीमाइज करना आसान है'
लेटर में लिखा है कि एक महिलाओं को विक्टीमाइज करना आसान है। क्योंकि उन पर पहले से ही कई लोग अविश्वास जता रहे होते हैं। उन्हें उनकी हलकी सी आजादी के लिए गालियां दे रहे होते हैं। यह जाहिर तौर पर जीडीपी से लेकर हेल्थ तक जैसे मुद्दों पर स्टोरी करने से आसान है, जिनसे हमारा देश फिलहाल गुजर रहा है।
लेटर में लिखा है कि मीडिया को महामारी के इस दौर में मेंटल हेल्थ के बारे में सतर्क रहना चाहिए। क्योंकि इसके चलते खुदकुशी की दर बढ़ रही है। लेकिन उन्होंने डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारी को हल्का बनाना चाहा।
लिखा है- क्यों? क्या सिर्फ इसलिए, क्योंकि रिया चक्रवर्ती ने उसके ब्वॉयफ्रेंड की मेंटल हेल्थ को सीरियसली लिया था? आप इसे सीरियसली क्यों नहीं लेना चाहते? क्यों आप यह नहीं समझना चाहते कि भारत में खुदकुशी करने वाली महिलाओं की संख्या दुनिया की एक तिहाई है। पारिवारिक हिंसा और सामाजिक बहिष्कार इसके बड़े कारण हैं।
अंत में 'बेटी बचाओ' अभियान का हवाला दिया
लेटर के अंत में सरकार के बेटी बचाओ अभियान का हवाला देते हुए पूछा गया है कि क्या रिया किसी की बेटी नहीं है, जिसे महिला होने का सम्मान मिलना चाहिए। लिखा है- हम न्यूज मीडिया से यह कहने के लिए लिख रहे हैं कि रिया चक्रवर्ती के खिलाफ अन्यायपूर्ण विच हंट बंद कीजिए। हम आपको यह बताने के लिए लिख रहे हैं कि सही और जिम्मेदारी भरी बात करें। आपका काम खबर ढूंढना है, महिला को ढूंढना नहीं।
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