ये देखकर दुख होता है कि 'आश्रम' प्रकाश झा जैसे टैलेंटेड मेकर की प्रस्तुति है। उन बॉबी देओल की वेब सीरीज है जिन्होंने हाल ही में ‘क्लास ऑफ 83’ से अपनी दमदार वापसी की है। दिलचस्प बात तो ये कि नौ एपिसोड्स वाले इस पहले सीजन के बाद सीजन-टू की भी घोषणा हुई है। मेकर्स ने खुद को कोसों दूर रखा है कि ‘आश्रम’ उस बाबा राम रहीम सिंह से प्रेरित नहीं है, जो सलाखों के पीछे हैं। मगर असल में कहानी उन्हीं को ध्यान में रख बनाई गई है।
वैसे ये शूट तो फैजाबाद, गोंडा और अयोध्या में हुई है, मगर इसका लोकेल काल्पनिक रखा गया है। मेरठ की पम्मी दलित वर्ग से आती है, पहलवानबाजी करती है, पर इलाके के सर्वण ऐसा नहीं होने देते। वो भी पूर्व मुख्यमंत्री हुकुम सिंह के सामने हो रहे मैच के दौरान।
पम्मी के भाई के दोस्त को घोड़ी चढ़कर ब्याह रचाना है, लेकिन वो अरमान भी इलाके के सर्वण पूरा नहीं होने देते और आन की लड़ाई में पम्मी के भाई को लहूलुहान कर देते हैं। स्थानीय पुलिस का प्रमुख उजागर सिंह है, वो भी पम्मी का साथ नहीं देता है, तभी बाबा निराला की एंट्री होती है। वो सब ठीक कर देता है।
जिसके बाद पम्मी के इलाके के लोग बाबा के भक्त से बन जाते हैं और यहीं से प्रदेश के सीएम और बाबा निराला में महाभारत शुरू हो जाती है। जिसके बीच में मोहरा बनती है इलाके की पुलिस, एक्स सीएम, पम्मी, उसका भाई और कुछ अन्य किरदार।
ठीक से ट्रीटमेंट नहीं कर सके प्रकाश झा
'गंगाजल' में पुलिस के मकड़जाल और 'राजनीति' में नेताओं के दांव पेंच को बखूबी दिखाने वाले प्रकाश झा यहां चूक गए हैं। कसी हुई स्क्रिप्ट के साथ फिल्में बनाने वाले निर्देशक यहां अपने वेब शो के साथ डेली सोप सा ट्रीटमेंट कर गए हैं। कई जगहों पर एक-एक सीन चार से पांच मिनट के बने हैं। जबकि उनकी लम्बाई डेढ़ मिनटों की हो सकती थी। यह एंगेजिंग तो कतई नहीं है। उकताहट सी होने लगती है।
कुटिलता और धूर्तता नहीं दिखा सके बॉबी
बॉबी देओल ने हाल ही में 'क्लास ऑफ 83' में जोरदार एक्टिंग की थी। पर यहां बाबा निराला के किरदार में वो रम नहीं पाए हैं। ये किरदार हर तरह के गलत काम करता है, लेकिन उसकी क्रूरता को बॉबी सीन्स में नहीं ला पाए हैं। उनकी सौम्यता बाबा निराला की धूर्तता पर हावी दिखती है। बाकी किरदार भी प्रभावित नहीं कर पाते।
अन्य किरदार भी नहीं कर सके प्रभावित
उजागर सिंह सर्वण इंस्पेक्टर है और अक्खड़ है। दर्शन कुमार ने उसकी सामंती सोच को जाहिर करने की पूरी कोशिश की है। बाबा निराला के राइट हैंड भूपा स्वामी के रोल में चंदन रॉय सान्याल हैं।
पोस्टमॉर्टम करने वाली डॉक्टर नताशा की भूमिका अनुप्रिया गोयनका ने प्ले की है। बाबा के बाद पूरी सीरीज में पम्मी व उसका भाई नजर आता है। उसे अदित पोहणकर और छिछोरे फेम तुषार पांडे ने प्ले किया है। दोनों का काम अच्छा बन पड़ा है। बाकी किरदार असरहीन हैं।
सारे फॉर्मूले फिल्मों में देखे हुए हैं
संवाद संजय मासूम के हैं। वो मजाकिया हैं, जो उनकी ताकत है, पर पटकथा में कसावट कम है। कहीं भी रोमांच की अनुभूति नहीं है। जैसे-जैसे किरदार आते हैं, वैसे-वैसे कहानी के राज आसानी से खुलते जाते हैं। फर्जी बाबाओं की ताकत को जरूर प्रकाश झा बखूबी पेश कर पाए हैं। पर इसे नौ एपिसोड्स में क्यों बनाया गया है, वो समझ से परे है। हर किरदार और कहानी में आने वाले मोड़ ठीक वैसे हैं, जैसे फॉर्मूला फिल्मों में दिखते रहे हैं।
स्टार: 2/5
कलाकार: बॉबी देओल, अनुप्रिया गोयनका, अदिति पोहणकर, चंदन रॉय सान्याल, तुषार पांडे
कहां देखें: एमएक्स प्लेयर
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