Thursday, March 5, 2020

परदे के पीछे की कहानी बताने की कोशिश में ‘ना-कामयाब’ रही संजय मिश्रा की कामयाब

रेटिंग 2/5 स्टार
स्टार कास्ट संजय मिश्रा, दीपक डोबरियाल, ईशा तलवार, अवतार गिल
डायरेक्टर हार्दिक मेहता
प्रोड्यूसर गौरी खान, मनीष मूंदड़ा, गौरव वर्मा
म्यूजिक रचिता अरोरा
जॉनर ड्रामा
अवधि 117 मिनट

बॉलीवुड डेस्क.पहली बार शाहरुख खान एक कम बजट की फिल्म ‘कामयाब’ को प्रोड्यूस कर रहे हैं। फिल्म जिन तथ्यों पर प्रकाश डालना चाहती है, उसकी कहानी की गहराई में कम ही उतरती है। यह एक चरित्र अभिनेता सुधीर की कहानी है, जिसका 80-90 के दशक में सितारा बुलंद था लेकिन अब उसे कोई पूछता नहीं है। परिवार में बेटी-दामाद और नातिन तो हैं, पर अलग रहते हैं। उसका एक जिगरी दोस्त है, जो सुख-दुख में भागीदार बनकर खड़ा रहता है।

एक दिन टीवी रिपोर्टर उनका इंटरव्यू लेने आती है और उनके जीवन में ऐसी उत्सुकता जगाकर चली जाती है, जिससे सुधीर की लाइफ में उथल-पुथल मच जाती है। वह रिपोर्टर उनसे कहती है कि आपने 499 फिल्में कर ली हैं। मात्र एक और फिल्म कर लें तब आपका 500 फिल्में करने का रिकॉर्ड बन जाएगा। फिर तो रिकॉर्ड बनाने के पीछे सुधीर ऐसा पड़ता है कि उसकी लाइफ में उथल-पुथल मच जाती है।

फिल्म की स्क्रिप्ट काफी कमजोर है। परदे के पीछे की कहानी बताने की कोशिश की गई है, जो बड़ा रुचिकर विषय था लेकिन गहराई में नहीं उतरने की वजह से कहानी दिल को छूने में कई जगह असफल होती है। मिडिल हाफतक कहानी काफी स्लो चलती है। कहानी में यह बताने की कोशिश की गई है कि हीरो के कहने पर उसे हटा दिया जाता है, लेकिन ऐसे तमाम मुद्दे, परंपरा और भेदभाव हैं, जो दिल को छू सकते हैं। अगर उन्हें बखूबी बताया जाता तब कहानी और मार्मिक बन पड़ती।

सुधीर के रोल में संजय मिश्रा की एक्टिंग तो उम्दा है। बाकी के कलाकारों की कास्टिंग भी एकदम परफेक्ट की गई है। दीपक डोबरियाल के बारे में खासतौर पर कहा जा सकता है कि उनकी कास्टिंग और एक्टिंग बेहतरीन है। लेकिन बात वहीं आकर अटक जाती है कि एक कैरेक्टर आर्टिस्ट का जो दर्द दर्शकों के दिल तक उतरना चाहिए था वह उतर पाने में नाकाम दिखता है। यहां पर डायरेक्टर कहीं-न-कहीं चूक से गए हैं। फिल्म का क्लाइमैक्स थोड़ा अजीब-सा लगा। फिल्मी परदे के पीछे की कहानी देखनी हो तो जरूर जाएं।



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Movie Review Sanjay Mishra Starrer Kaamyaab


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