Sunday, February 23, 2020

शक्ति कपूर ने श्रीदेवी को याद किया, कहा- कभी किताब लिखने का मौका मिला तो टाइटल होगा हवा हवाई

बॉलीवुड डेस्क. दिवंगत एक्ट्रेस श्रीदेवी को दुनिया से गए हुए दो साल हो गए हैं। एक्ट्रेस की दूसरी पुण्यतिथि पर उन्हें याद कर रहे हैं शक्ति कपूर। उन्होंने श्रीदेवी के साथ अपनी फिल्मों से जुड़े हुए किस्से साझा किए।

शक्ति ने बताया कि, मेरे ख्याल से 17 से ज्यादा फिल्में मैंने उनके साथ की है। हिम्मतवाला से लेकर उनकी आखिरी फिल्म तक का ग्रोथ मैंने उन्हें देखा है। उनको हिंदी नहीं आती थी। कैसे उन्होंने हिंदी भाषा सीखी? हिम्मतवाला के टाइम पर बहुत वजनी भी थी वह। कैसे एक्सरसाइज कर करके उन्होंने अपने आपको चेंज किया।

उनकी फैमिली बहुत अच्छी थी। उनकी मम्मी बहुत अच्छी थी। उनकी बहन बहुत अच्छी थी। मैं बहुत नजदीक था उनकी फैमिली से। उनके साथ चालबाज की उस्ताद की बहुत फिल्में की। उनके साथ जस्टिस चौधरी भी की। इस तरह देखा जाए तो उनके साथ मेरा बहुत अच्छा एसोसिएशन रहा।

उन्होंने बताया कि, हिम्मतवाला के टाइम पर लैंग्वेज की थोड़ी प्रॉब्लम थी, लेकिन वह बहुत कॉन्फिडेंट थीं शुरू से ही। वह किसी की परवाह नहीं करती थी। वह लगी रहती थी सेट पर किसी कोने में अपने डायलॉग को मेमोराइज करने में और अपने कैरेक्टर के स्किन में सोचने में। सेट पर मौजूद बाकी लोगों ने उसी टाइम पर बोल दिया था कि यह बहुत बड़ी हीरोइन बनने वाली हैं। वह डांस बहुत अच्छा करती थी शुरू से ही।उन्होंने जिस तरीके से अपने आप को निखारा है वह आउटस्टैंडिंग है। उनके बारे में जिस तरीके से उन्होंने खुद को निखारा, उसके बारे में भी आज की एक्ट्रेसेज अगर रिसर्च कर लें तो अपनी एक्टिंग एबिलिटी में काफी सुधार कर सकती हैं।

शक्ति के मुताबिक, उनके साथ जो मैंने 17 फिल्में की उनमें मेरी सबसे फेवरेट ‘चालबाज’ है। ‘चालबाज’ में श्रीदेवी बहुत अच्छी थी। मैं हमेशा अपनी बेटी श्रद्धा को भी बोलता हूं कि अगर ‘चालबाज’ फिर से बने तो वह फिल्म जरूर करना चाहिए उनको। बहुत चार्मिंग थी उसमें श्रीदेवी। डबल रोल था उनका। मेरी नजर में दो ही एक्ट्रेसेज हैं, जो बहुत तगड़ा कॉमेडी करती थी। एक श्रीदेवी दूसरी जूही चावला। इनका सेंस ऑफ कॉमिक टाइमिंग बहुत बढ़िया रहा है।

मेरा उनके साथ भाई-बहन का रिश्ता रहा है। उनमें टिपिकल स्टार वाले कोई टैन्ट्रम तो थे ही नहीं। मैंने उनको कभी गुस्से में देखा नहीं। वह दरअसल सबके साथ खुलती नहीं थी। शॉट देकर कोने में कुर्सी लेकर बैठ जाती थी। हां जिनके वह काफी करीब होती थी तो उनसे काफी दिल से बातें किया करती थीं। असल जिंदगी में तो वह काफी शर्मीली और रिजर्व रहती थीं, पर जैसे ही कैमरा ऑन होता था उनका अलग ही अवतार देखने को मिला करता था। उन्होंने सबसे ज्यादा चुलबुली युवती के रोल प्ले किए। यह तो खैर उनकी कुदरती काबिलियत थी। कैमरा उनका सबसे नजदीकी दोस्त था।

वह बहुत सीधी सादी सिंपल लड़की थी। खास ऑकेजंस पर भी उन्हें कुछ ऐसा आडंबर नहीं चाहिए होता था। सिंपल साउथ इंडियन खाना खाया करती थीं। मुझे याद है वह कभी खाने के लिए छुरी- कांटा इस्तेमाल नहीं करती थीं। इससे मुझे एक इसीडेंट याद आ रहा है। हम लोग अफ्रीका में एक फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। वहां पर श्रीदेवी को बहुत स्ट्रिक्ट डाइट पर रहना था। वह फिल्म शायद मवाली थी। अचानक उन्होंने कहा कि उन्हें आइसक्रीम खाने का मूड है। ऐसे में यूनिट वाली बस को रुकवाया गया और बाकायदा उन्होंने आइसक्रीम खाई। 4 आइसक्रीम एक साथ खा गई। फिर बोला कि अब मैं 4 दिन खाना नहीं खाऊंगी। कहने का मतलब यह कि कोई नाटक नहीं था उनमें, जो हीरो में हम लोगों ने देखा पाया। कभी भी सेट पर किसी तरह का चिल्लाना कि यह नहीं है। वह नहीं है। कभी भी ऐसा नहीं पाया।

उनका अपने प्रॉपर हीरोज के साथ भी बड़ा ही प्रोफेशनल रिश्ता था। वह सब के साथ घुलमिल कर या बातें करना हंसी मजाक वह सब नहीं किया करती थी। कई बार तो कैमरा ऑन होने से पहले वह हीरो से बात भी नहीं करती थी या ऐसा कोई लंबे समय से रिश्ता नहीं महसूस होता था दोनों के बीच, लेकिन जैसे ही कैमरा ऑन होता था और जब एक्टिंग कर रही होती थी तो ऐसा लगता था जैसे वह अपने हीरो को सालों से वह बरसों से जान रही हैं। तो वह आर्टिस्ट थी बड़ी तगड़ी।मेरी नजर में मैं मधुबाला को काफी पसंद किया करता था और मीना कुमारी को। उन दोनों के समानांतर मैं श्रीदेवी को पाता हूं। हम दोनों का रिश्ता भाई-बहन का था।

अफ्रीका के अलावा मुझे एक और किस्सा याद आ रहा है। हम लोग शोज पर गए थे कहीं बाहर। जितेंद्र भी साथ में थे। असरानी और कादर खान भी साथ में थे। हम लोग दरअसल होटल में चेक इनकरने से 3 घंटे पहले ही पहुंच गए थे। मैं, जितेंद्र असरानी और कादर खान। श्रीदेवी हम लोगों से भी पहले ही पहुंच गई थी तो वहां हम लोग क्या पाते हैं कि श्रीदेवी जैसी बड़ी स्टार होटल की लॉबी में जो सोफे पर पड़ा हुआ पिलो होता है उसे अपने सिरहाने रखकर सोई हुई थी और वह तीन-चार घंटे की अपनी नींद पूरी कर चुकी थी। वहीं अपनी शॉल ओढ़ के। हम लोगों ने आपस में चर्चा भी की कि क्या यार यह करोड़पति वाली हीरोइन है और किसी तरह का कोई टेंशन नहीं चुपचाप जो जहां पर जगह मिली वहां पर सिरहाने रख कर सो गई किसी तरह का कोई मलाल नहीं। सोई हुई वह बहुत सिंपल साधारण सी लड़की लग रही थी। उनकी इस सिंपलीसिटी के हम सब काफी कायल हो गए थे।

अच्छा उनमें कभी मैंने दूसरों से कंपीटीशन करने की भावना नहीं देखी। वह कभी भी नंबर गेम में पड़ी ही नहीं। अपने काम से काम रखती थी। उस पर ही फोकस किया करती थी। जाते-जाते भी उन्होंने इतनी अच्छी फिल्में ‘मॉम’ की ‘इंग्लिश विंगलिश’ की है कभी लगा ही नहीं कि एक लंबे गैप के बाद फिर से वह फिल्मों में वापसी कर रही हैं। गैप के बाद भी कभी उनकी एक्टिंग में फर्क दिखा ही नहीं।


वह बहुत जेनरस थीं। मेरी साली फैशन में है कपड़े भी बनाती हैं उनका एक एग्जिबिशन था। एक बार श्रीदेवी जी को कहा गया और वह तुरंत उस एग्जीबिशन में आई और उस महफिल की शान बढ़ाई उन्होंने मुझे कभी मौका मिला उन पर कोई किताब लिखने का तो उसका टाइटल होगा हवा हवाई। ब्रैकेट में लिखूंगा लेफ्ट अर्ली।
( जैसा अमित कर्ण को बताया)



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