बॉलीवुड डेस्क. देश के ताजा माहौल को लेकर सैफ अली खान का कहना है कि चीजें जिस दिशा में आगे बढ़ रही हैं, वह देख कर लगता है कि शायद यह धर्मनिरपेक्ष न रहे। यह बयान उन्होंने फिल्म क्रिटिक अनुपमा चोपड़ा को दिए इंटरव्यू में दिया। इस दौरान सैफ ने अपनी हालिया रिलीज फिल्म 'तान्हाजी: द अनसंग वॉरियर' में इतिहास से छेड़छाड़ के आरोप भी लगाए और कहा कि ऐसा किया जाना वाकई खतरनाक है।
क्या फिल्म इंडस्ट्री में भी ध्रुवीकरण बढ़ा है?
इस सवाल के जवाब में सैफ ने कहा, "हां यह हुआ है। मुझे लगता है कि यह 1947 में पाकिस्तान के निर्माण के साथ शुरू हुआ। विभाजन के बाद मेरे कुछ रिश्तेदार पाकिस्तान चले गए, यह सोचकर कि शायद यह देश आगे धर्म निरपेक्ष नहीं रहेगा। कुछ यह सोचकर भारत में ही रुक गए कि देश धर्मनिरपेक्ष रहेगा। लेकिन आज चीजें जिस दिशा में आगे बढ़ रही हैं, वह देख लगता है देश शायद धर्मनिरपेक्ष न रहे।"
सैफ आगे कहते हैं कि अगर वे स्वार्थी होकर अपने परिवार की ओर देखें तो उनके पास हर तरह की खुशी है। बेहतरीन डॉक्टर हैं, बच्चों की अच्छी पढाई है, बेहतर निवेश हो रहा है और रिटर्न भी अच्छा मिल रहा है। लेकिन देश में धर्मनिरपेक्षता और बाकी चीजों को लेकर चल रही बहस में वे शामिल नहीं हैं।
फिल्म बिरादरी के लोग राष्ट्रीय मुद्दों पर चुप क्यों?
सैफ ने बताया कि आखिर क्यों फिल्म बिरादरी के कई लोग देश में चल रहे मुद्दों पर चुप्पी साध लेते हैं। वे कहते हैं, "मुझे लगता है कि एक्टर्स को राजनीति में नहीं पड़ना चाहिए।" उनके मुताबिक, अगर सेलेब्रिटी किसी राष्ट्रीय मुद्दे पर अपनी राय रखते हैं तो उन्हें इसका नतीजा भुगतना पड़ सकता है। क्योंकि इससे उनकी फिल्में या बिजनेस प्रभावित हो सकता है। यही वजह है कि फिल्म बिरादरी के कई लोग देश में चल रहे मुद्दों पर चुप रहना ही बेहतर समझते हैं।
'तान्हाजी' में राजनीतिक तथ्यों से छेड़छाड़
सैफ अली खान की मानें तो 'तान्हाजी : द अनसंग वॉरियर' जैसी फिल्मों में ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ करना खतरनाक है। उनके मुताबिक, वे यह जानते थे कि फिल्म में राजनीतिक नजरिए से तथ्यात्मक बदलाव किए गए हैं, जो कि सही नहीं है। बावजूद इसके उन्होंने यह फिल्म की, क्योंकि उन्हें उदयभान राठौड़ का किरदार आकर्षक लगा था। सैफ कहते हैं, "किसी वजह से मैं इस छेड़छाड़ के खिलाफ नहीं जा सका। शायद आगे ऐसा कर सकूं। लोग समझ रहे हैं कि यह इतिहास है। लेकिन हकीकत में यह नहीं है। क्योंकि इतिहास के बारे में मैं बखूबी जानता हूं।"
सैफ आगे कहते हैं, "मुझे नहीं लगता कि अंग्रेजों के आने से पहले इंडिया की अवधारणा थी। इस फिल्म में कोई ऐतिहासिक तथ्य नहीं हैं।इसे लेकर हम कोई तर्क नहीं दे सकते। दुर्भाग्य से जो कलाकार लिब्रल होने की वकालत करते हैं, वे भी लोकप्रियतावाद से अछूते नहीं है। यह स्थिति ठीक नहीं है, लेकिन सच्चाई यही है।"
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