बॉलीवुड डेस्क. आज बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना का 77वां जन्मदिन है। फिल्म डायरेक्टर और राइटर अनीस बज्मी ने बताया कि राजेश खन्ना जैसा स्टारडम शायद ही किसी को मिल सके हालांकि उन्होंने चर्चा के दौरान बताया कि काका जितने बड़े स्टार थे, उतने ही सरल स्वभाव के थे। डायरेक्टर अनीस ने भास्कर का साथ साझा किए काका के साथ उनके अनुभव।
राजेश खन्ना ने स्टारडम का जो दौर देखा, वह बहुत कम एक्टर्स को नसीब होगा। आमतौर पर कहा जाता है कि स्टार को राइटर्स की जरूरत नहीं होती, खासकर तब जब वह बुलंदियों पर हो। उनके साथ बतौर राइटर रहते हुए स्टारडम और उनकी पर्सनालिटी से जुड़े मिथ डिकोड हुए। उन्होंने मेरा पहला काम ही अप्रूव किया था। अनीस बज्मी की "स्वर्ग' को उन्होंने पहले ही नैरेशन में हां कह दिया था। उस अनीस बज्मी को जो, उस वक्त "स्वर्ग' पर असिस्टेंट थे।
उनसे बड़ा स्टार और कौन हो सकता है भला? हालांकि जब हम लोगों ने उनके साथ "स्वर्ग' शूट की थी, उस वक्त उनका वह पिक नहीं था। उसके बावजूद जब कभी हम उनके घर वाले ऑफिस में जाया करते थे तो ऐसा ही लगता था कि हम बहुत बड़े स्टार के घर आए हैं। इसलिए कि स्टारडम कम हो जाने के बाद भी काका के जहन में ऑलवेज स्टारडम था।
महफिल के शौकीन थे राजेश खन्ना
अनीस के अनुसार महफिल जमाना उन्हें बहुत पसंद था। शाम को उनका अलग ही रूप देखने को मिला करता था। सिल्क वाली लुंगी और कुर्ते में वह महफिल जमाया करते थे। उस अवतार में भी वह कमाल के लगते थे। उनका ऑरा बहुत बड़ा था। उनके नजदीक होकर आप ऐसा कभी फील नहीं कर सकते कि आप उन्हें टेकन फॉर ग्रांटेड ले लें। प्यार मोहब्बत हो जाने के बाद वह आप को अपना मानते थे। आप के कंधों पर हाथ रखकर हमेशा साथ खड़े रहते थे, लेकिन उतना खुलने के बाद भी आपके मन में उनके लिए काफी इज्जत रहती थी। उनकी आभा ही ऐसी थी। आमतौर पर जब आप किसी बड़े आदमी के साथ थोड़े से खुल जाते हैं तो उनके साथ थोड़ी सी बेफिक्री आ जाती है कहीं ना कहीं थोड़ा सा टेकेन फॉर ग्रांटेड लेने वाली बात भी आ जाती है पर काका जी के साथ ऐसा हुआ ही नहीं। इससे ही समझ सकते हैं कि उनका स्टारडम किस लेवेल का होगा।
चाहते थे सभी टच में रहें
निर्देशक ने बताया कि काका जी फैंटास्टिक एक्टर तो थे ही। जब मैंने उन्हें फिल्म सुनाई थी तो बड़े खुश हुए थे उन्हें मेरा नैरेशन काफी पसंद आया था। उन्होंने गले लगाकर कहा कि बहुत जमाने भर बाद एक बहुत अच्छे राइटर से मिला हूं। पूरी स्क्रिप्ट डायलॉग सब याद किया करते थे। उनकी एक अलग मेहनत थी। एक बात अच्छी थी उनमें कि उन्होंने अपने कान बंद नहीं किए थे। मैं सेट पर बहुत ही छोटा था, बहुत ही बच्चा था। उसके बावजूद उनसे अगर कह दिया करता था कि काका अगर इस सीन को इस तरीके से करें तो और अच्छा हो तो वह हमेशा ओपन रहते थे। उस चीज के सजेशंस के लिए और वह अपना इनपुट भी उसमें ऐड किया ही करते थे।
एक और बात थी वो यह कि वह जिसे अपना माना करते थे उससे अपेक्षा रहती थी कि वह उनके साथ लगातार संपर्क में रहे। मेरे साथ हुआ कि "स्वर्ग' के बाद मैं कई सारी फिल्मों में बिजी हो गया। उसके बाद एक अंतराल के बाद मैं एक पार्टी में उनसे मिला। वह नाराजगी दिखाते हुए कहा कि भाई कहां गायब हो गए थे? मैंने उनसे माफी मांगी।
सभी का ध्यान रखते थे काका
"स्वर्ग' के शूटिंग के दौरान मुझे तो वे कभी देर से आते नहीं नजर आए। अगर 9:00 बजे सुबह का कॉल टाइम हुआ करता था तो वह कई बार 8:30 बजे सुबह ही आया करते थे। मैं तब मलाड रहा करता था। मीटिंग के दौरान अगर कई बार उनके घर वाले ऑफिस पर देर हो जाया करती थी तो वह बाकायदा अपने ड्राइवर से गाड़ी में मुझे मलाड ड्रॉप करवाते थे। यह बहुत बड़े लोगों की निशानी होती है कि जो छोटे लेवल के लोग उनके साथ काम करते हैं वे उनका भी ख्याल रखते हैं। जबकि उस वक्त मैं उतना लायक भी नहीं था। मेरी पहली फिल्म थी। मैं असिस्टेंट था उसके बावजूद मैंने फिल्म की कहानी लिखी थी। फिर भी उन्होंने मुझे पूरी इज्जत बख्शी। वे अपने बाकी राइटरों के भी बारे में बताते रहते थे कि वे उनके स्टारडम को गढ़ने में अहम फैक्टर थे।
(जैसा अमित कर्ण को बताया)
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