बॉलीवुड डेस्क. 1975 की ब्लॉकबस्टर फिल्म 'शोले' में कालिया का रोल निभाकर पॉपुलर हुए वीजू खोटे नहीं रहे। 77 साल के खोटे लम्बे समय से बीमार थे। सोमवार को उन्होंने अपने आवास पर अंतिम सांस ली। पर्दे पर लोगों को डराने और हंसाने वाले वीजूअसली जिंदगी में काफी शर्मीले इंसान थे। उनका पूरा नाम विट्ठल बाबूराव खोटे था। करीब 300 फिल्मों में विलेन और कॉमेडियन के रूप में दिखे वीजू मशहूर एक्ट्रेस शोभा खोटे के छोटे भाई थे।
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वीजू ने एक इंटरव्यू में बताया था, "दीदी (शोभा) फिल्मों में आ चुकी थीं। तब मैं बीए कर रहा था।लोग मुझसे कहते थे कि तुम्हारी दीदी फिल्मों में काम कर रही हैं, तुम्हे करने में क्या दिक्कत है? मैं कहता था कि मैं नहीं कर पाता हूं, नहीं होता मुझसे। मेरे पिताजी साइलेंट जमाने के एक्टर थे। बाद में उन्होंने कई मराठी फिल्मों और थिएटर में काम किया। लेकिन मैं एक्टिंग नहीं कर पा रहा था। क्योंकि मैं शर्मीला था। एक दिन कॉलेज में आधा-पौने घंटे का एक ड्रामा होना था। हमारे कॉलेज के हिंदी के प्रोफेसर ने मुझसे कहा कि मैं डायरेक्ट कर रहा हूं, तुझे इसमें काम करना पड़ेगा। मेरी तो हवा टाइट हो गई। लेकिन प्रोफेसर के डर से मैंने हामी भर दी। यह पहला मौका था, जब मैंने कोई एक्टिंग की थी। यह 1961 की बात है।"
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वीजू की मानें तो बीए करने के बाद उन्होंने अपनी प्रिंटिंग प्रेस शुरू की, जिसके अंतर्गत कई तरह के साहित्य का प्रकाशन हुआ। इस दौरान नाटकों और फिल्मों से दूर थे। वे कहते हैं, "फिर पिताजी ने एक मराठी फिल्म बनाई 'या मालक'। महमूद और शोभा ने उसमें लीड रोल किया। पिताजी ने मुझे उस फिल्म में काम करने के लिए बुला लिया।" यही से शर्मीले स्वभाव वाले वीजू खोटे का फिल्मी करियर शुरू हुआ। हालांकि, उन्हें पहचान 'शोले' में कालिया का किरदार निभाने के बाद मिली।
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वीजू के मुताबिक, वे और अमजद एक प्ले में साथ काम करने वाले थे। वे दशरथ की भूमिका के लिए चुने गए थे और अमजद रावण का किरदार करने वाले थे। लेकिन पेमेंट को लेकर बात नहीं बनीं और अमजद ने प्ले करने से इनकार कर दिया। इस वजह से वीजू को रावण की भूमिका दे दी गई। हालांकि, बाद में यह प्ले हो नहीं पाया। लेकिन अमजद के साथ उनकी दोस्ती हो गई। वे कहते हैं, "फिल्म (शोले) के लिए कालिया के सीन की शूटिंग पहले किसी और के साथ शुरू हो चुकी थी। लेकिन मेकर्स को वह पसंद नहीं आया। तब उन्होंने अमजद से कहा कि वीजू को बुला लो। अमजद भाई ने मुझे फोन किया और कालिया के किरदार के बारे में बताया। यह फिल्म मैंने 1973 में शूट की थी।"
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वीजू के मुताबिक, अमजद ने जब उनसे पूछा कि वे घुड़सवारी कर लेते हैं तो उन्होंने झूठी हामी भर दी। हालांकि, उसके बाद घुड़सवारी ट्रेनिंग ली। लेकिन शूट के दौरान उन्हें रेस की घोड़ी दी गई, जिसने उन्हें खूब परेशान किया। वीजू ने बताया था, "वह घोड़ी मुझे हर शॉट में गिरा देती थी। जिस सीन में हम गांव में माल लेने जाते हैं, उसकी शूटिंग एक सप्ताह तक हुई थी और इस दौरान घोड़ी ने मुझे 6-7 बार गिराया था। लेकिन उनके पास भूरे रंग का कोई दूसरा घोड़ा या घोड़ी नहीं थी। इसलिए इसे बदल भी नहीं सकता था। इस बीच मुंबई आया और जुहू चौपाटी पर घुड़सवारी सीखी। लेकिन बाद के सीन में घोड़े का काम ही नहीं था।"
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वीजू अपने रोल में पूरी तरह घुस जाते थे। यहां तक कि कई बार उन्हें अपनी चोट का अहसास भी शूट पूरा होने के बाद होता था। उन्होंने इंटरव्यू में बताया कि विनोद मेहरा के साथ एक फिल्म में उन्होंने फाइट सीन किया था। इसकी शूटिंग के दौरान उनकी उंगली कट गई थी। लेकिन वे इस बात से अनजान थे। शूट पूरा हुआ तो उन्होंने वहां खून देखा। तब पता चला कि उनकी उंगली कट गई है। इसके बाद उन्होंने अस्पताल जाकर उस पर टांके लगवाए।
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