बतौर प्रोड्यूसर अनुष्का शर्मा लगातार लीक से हटे हुए कंटेंट प्रोड्यूस कर रही हैं। इन दिनों उनका वेब शो पाताल लोक कई कारणों से लगातार चर्चा में है। अनुष्का खुश और संतुष्ट हैं कि उन्होंने जिस कंटेंट पर यकीन किया था, उसे काफी चर्चा मिल रही है। इस बारे में बात करते हुए अनुष्का ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की है।
शो के क्रिमिनल को थोड़ा सा ह्यूमनआईज किया गया है। ऐसा क्यों?
हमने किसी को ह्यूमनआईज करने की कोशिश नहीं की है। हमने दिखाया है कि हर इंसान के पीछे एक कहानी होती है। और जो वह करता है, जहां उसकी परवरिश हुई है, वह उसका फाइनल प्रोडक्ट होता है। हमने किसी के भी एक्शन को ग्लोरिफाई करने की कोशिश नहीं की है। हमने एक नजरिया दिखाया है। ऑडियंस पर छोड़ दिया है कि वह उस पर अपनी क्या राय बनाते हैं?
जोखिम वाले विषयों बनाने का माद्दा कहां से लाती हैं?
जो भी सब्जेक्ट मैं हाथ में लेती हूं, उसे प्रामाणिकता के साथ पेश करने की कोशिश करती हूं। पाताल लोक के साथ भी ऐसा ही किया। कहानी, किरदार और परिवेश के बहुत करीब रहे। आज जब शो चर्चा में है, सराहा जा रहा है तो बहुत खुशी हो रही है। बहुत अच्छा लग रहा है, जब लोगों से सुनने को मिलता है कि इंडिया का बेहतरीन थ्रिलर वेब शो हमने बनाया है।
भाई कर्णेश के साथ किस तरहडिस्कशन हुआ था
उन्हें भी उसी तरह का काम पसंद है, जैसा पूरी दुनिया में हो रहा है। मेरा मानना है कि ओटीटी प्लेटफार्म आप को ऐसे कंटेंट बनाने में प्रेरित करते हैं, जो एक साथ दुनिया के किसी कोने में कनेक्ट कर सकें।पाताल लोक को लेकर साथी फिल्मकार और कलाकार के बड़े अच्छे रिव्युज आ रहे हैं। लिहाजा बतौर प्रोड्यूसर खुशी होती है कि संपूर्णता में राइटिंग, डायरेक्शन, लोकेशन व जो भी हमने बेक बनाया, वह लोगों को पसंद आ रहाहै। यह सिर्फ मेरी नहीं, इससे जुड़े हर एक इंसान की जीत है।
समाज, सिस्टम का क्रूर चेहरा इतने करीब से दिखाना पहले से तय था?
जी हां। इस वेब शो का बेस्ट पार्ट यह था कि हमने अपनी तरफ से कोई जजमेंट नहीं पास किया। हमने समाज के अलग-अलग पहलुओं को दर्शाया। यह बताया कि बतौर इंसान हम सभ्य समाज के निर्माण में असफल रहे हैं। ताकतवर बने रहने के लिए इंसानियत का गला घोंटते रहे हैं। समाज की सबसे पेचीदा चीज को सबसे अनासक्त भाव से कहा है।
जमुनापार से पाताल लोक कैसे हुआ नाम
हमें लगा पाताल लोग बेहतर नाम है। और यह हमारे शो और स्टोरी को बेहतर तरीके से रिप्रेजेंट कर रहा है।
आगे कैसे वैब शोज और फिल्में करने वाली हैं?
हम जॉनर नहीं सोचते। कहानियों के बारे में सोचते हैं। जब हमें लगेगा कि कोई कहानी अलग, नई और स्पेशल है और उसे कहना है तो हम लोग वह प्रोड्यूस करते रहेंगे।
डिजिटल प्लेटफॉर्म कितना बड़ा होता दिख रहा है?
इस समय पर तो लगता है। एक वजह तो है कि हम सबों के लिए, जब हमारे पास काम करने के लिए कुछ नहीं है तो कम से कम इस प्लेटफार्म की वजह से कुछ कहानियां देखने को मिल रही हैं। ऐसा सिर्फ इंडिया में नहीं, बल्कि दुनिया भर में हो रहा है। जाहिर है यह एक नया जरिया हो सकता है एंटरटेनमेंट का।
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