वेटरन एक्टर ऋषि कपूर के निधन के बाद प्रसिद्ध लेखक और गीतकार जावेद अख्तर ने भी उनके लिएसंवेदनाएं प्रकट कीं। अपने ट्वीट में उन्होंने ऋषि को एक प्यारा दोस्त बताते हुए दोनों के बीच हुई पहली मुलाकात का रोचक किस्सा भी बताया। ऋषि कपूर का निधन गुरुवार सुबह मुंबई के एक अस्पताल में हुआ, वे 67 साल के थे।
जावेद अख्तर ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, 'आज मैंने अपने प्यार दोस्त ऋषि कपूर को खो दिया। हमारी पहली मुलाकात 1973 में बेंगलोर में हुई थी। वे वहां 'बॉबी' के एक चैरिटी शो में हिस्सा लेने आए थे और मैं वहां 'शोले' की शूटिंग के लिए था। हम दोनों शाम को मिले और 47 सालों की दोस्ती शुरू करने के लिए कुछ घंटों तक बात करते रहे। अलविदा प्यारे दोस्त।'
2 साल पहले कैंसर का पता चला था
साल 2018 में ऋषि कपूर को ल्यूकेमिया यानि ब्लड कैंसर होने का पता चला था, जिसके बाद वे इलाज के लिए अमेरिका गए थे। वहां 11 महीने रहने के बाद पिछले साल सितंबर में भारत लौटे थे। अमेरिका में पूरे वक्त उनके साथ उनकी पत्नी नीतू ही थीं। रणबीर कपूर कई बार उनसे मिलने न्यूयॉर्क गए थे। कुछ दिनों पहले ऋषि ने एक इंटरव्यू में कहा था, 'अब मैं बहुत बेहतर महसूस कर रहा हूं। और कोई भी काम कर सकता हूं। सोच रहा हूं कि एक्टिंग दोबारा कब शुरू करूं। पता नहीं लोगों को अब मेरा काम पसंद आएगा भी या नहीं। न्यूयॉर्क में मुझे कई बार खून चढ़ाया गया था। तब मैंने नीतू से कहा था- उम्मीद करता हूं कि नए खून के बावजूद मैं एक्टिंग नहीं भूलूंगा।'
फरवरी में दो बार अस्पताल में भर्ती हुए थे
ऋषि ऋषि कपूर इस साल फरवरी में दो बार अस्पताल में भर्ती हुए थे। एक बार जब वे दिल्ली में एक पारिवारिक कार्यक्रम में भाग लेने गए थे तो उन्हें वहां के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उस समय खुद ऋषि ने कहा था कि वे संक्रमण से पीड़ित थे। मुंबई लौटने के बाद उन्हें फिर से वायरल बुखार के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उनकी तबीयत जल्दी सुधर जाने के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई थी।
परिवार ने बताया- ल्यूकेमिया के बावजूद परिवार, दोस्त, फिल्में और खाना उनके फोकस में था
ऋषि कपूर के निधन के बाद परिवार की तरफ से यह मैसेज जारी किया गया- ‘‘दो साल तक ल्यूकेमिया से जंग के बाद हमारे प्यारे ऋषि कपूर का आज सुबह 8 बजकर 45 मिनट पर निधन हो गया। अस्पताल के डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ ने कहा कि वे आखिर तक उनका मनोरंजन करते रहे। दो महाद्वीपों में उनका दो साल तक इलाज चला और इस दौरान वे खुशमिजाज और जिंदादिल बने रहे। परिवार, दोस्त, लजीज खाना और फिल्में उनके फोकस में रहीं। इस दौरान उनसे जो भी मिला, वह यह जानकार ताज्जुब में था कि उन्होंने कैसे बीमारी को खुद पर हावी नहीं होने दिया।
दुनियाभर में अपने फैन्स से मिल रहे प्यार के वे कर्जदार थे। उनके जाने के बाद सभी फैन्स यह समझ पाएंगे कि ऋषि चाहते थे कि वे आंसू नहीं, मुस्कुराहट के साथ याद किए जाएं। इस नुकसान के बीच हम यह जान रहे हैं कि दुनिया एक बेहद मुश्किल दौर से गुजर रही है। लोगों की आवाजाही और इनके इकट्ठा होने पर पाबंदियां हैं। हम उनके सभी फैन्स, चाहने वालों और दोस्तों से यह गुजारिश करते हैं कि वे नियम-कानूनों का सम्मान करें।’’
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