संगीत सम्राट अनुप जलोटा ऋषि कपूर के करीबी दोस्तों में से एक हैं। दोनों अक्सर शाम साथ बिताया करते थे ऐसे में ऋषि कपूर के निधन से अनुप काफी सदमे में हैं। उन्होंने हाल ही में हुई दैनिक भास्कर से खास बातचीत में ऋषि कपूर की यादें शेयर की हैं। उन्होंने बताया कि किस तरह आखिरी मुलाकात के समय ऋषि ने उनसे काम करने की बात कही थी।
अपनी जिन्दगी की नई पारी अभी तो उन्होंने शुरू की थी
अनुप जलोटा ने इंटरव्यू के दौरान बताया, 'ऋषि जी हमारे भाई जैसे थे, हमारा मुंबई में काफी मिलना जुलना होता था। नीतू कपूर हमारी पत्नी मेधा की बहुत अच्छी दोस्त थी और इसी की वजह से हमारी फैमिली उनके करीब थी। शॉक इस बात का लगा की वे तो पूरी तरह से ठीक हो गए थे। अपनी जिन्दगी की नई पारी अभी तो उन्होंने शुरू की थी और यूं उनका दुनिया से चले जाना, काफी शॉकिंग हैं। अमेरिका में जब उनका इलाज चल रहा था तब मेरी उनसे मुलाकात हुई थी'।
अपनी आखिरी सांस तक काम करना चाहते थे
'जिस तरह वह लोगों से बात करते या मिलते, कोई नहीं कह सकता की वह बीमार थे या उनका कैंसर जैसी बीमारी का इलाज चल रहा होगा। हमने मिलकर चाय पी और खूब बातचीत की। बातों बातों में उन्होंने कहा कि अमेरिका में उनका मन नहीं लग रहा हैं और वो अपने देश को बहुत मिस कर रहे हैं। वे चाहते थे की किसी भी तरह उनका इलाज जल्द से जल्द खत्म हो ताकि वे अपने देश लौटे। उन्होंने कहा कि वे अपनी आखिरी सांस तक काम करना चाहते हैं। वे अपनी एक्टिंग को बहुत मिस करते थे। कहते थे, 'मैं तो रोज़ शूटिंग करने वाला बंदा हूं, इस तरह बैठा नहीं जाता, मन नहीं लगता। आता हूं जल्दी इंडिया और आते ही काम शुरू कर दूंगा।" अपने काम को लेकर उन्हें इतना जुनून था की अमेरिका में बैठकर भी फिल्ममेकर्स से स्क्रिप्ट मंगाते और पढ़ते थे। यहां तक की जब वे मुझे नीचे कार तक छोड़ने आए तब भी जाते जाते उन्होंने यही कहां की जल्द से जल्द काम शुरू करना चाहता हूं'।
मैं ठीक हो गया हूं और अब मुझे कुछ नहीं होगा
'अपनी बीमारी को लेकर वो कभी निराश नहीं थे। जब भी बात होती तब यही कहते की मैं ठीक हो गया हूं। यहां तक की कैंसर को उन्होंने मुझे बहुत सरल भाषा में समझाते थे। कहते की सबके शरीर में कैंसर टिश्यूज होते हैं हालांकि बहुत पीछे होते हैं और जब वो आगे आते हैं तो हमें कष्ट देते हैं। मेरे टिश्यूज आगे आ गए लेकिन अब इलाज़ और कई तरह की थेरेपी के बाद अब वे पीछे हो गए हैं। 'मैं ठीक हो गया हूं पूरी तरह से और अब मुझे कुछ नहीं होगा। मुझसे बातचीत के दौरान ये उनके आखिरी शब्द थे जो मुझे हमेशा याद रहेंगे। जितनी मुझे जानकारी हैंउन्हें लिवर में कैंसर था'।
एक शाम बैठकर मजा करने का वादा अधूरा रह गया
'जिस दिन लॉकडाउन घोषित हुआ था उसी दिन वॉट्सऐप पर बात हुई थी की चलो मिला जाए। एक शाम बैठते हैं मजा करते हैं। मैं, प्रेमनाथजी के बेटे प्रेम किशन और ऋषि जी कई बार मिलते थे और साथ में शाम बिताते थे। लॉकडाउन की वजह से मिल नहीं पाए'।
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