बॉलीवुड डेस्क.भूमि पेडनेकर पली-बढ़ीतो मुंबई में हैं, लेकिन वे आधी हरियाणवी हैं। उनकी मां सुमित्रा हरियाणा से हैं। मां की पैदाइश का फायदा भूमि को फिल्म ‘सांड की आंख’ के लिएहुआ है। शूटर दादी चंद्रो तोमर के लहजे को पकड़ने के लिए भूमि ने मां से हरियाणवी बोली सीखी।
मां के साथ सेट पर जाती थीं भूमि: भूमि शूटिंग के दौरानहर रात मां के साथ उच्चारण की प्रैक्टिस करतीथीं।साथ ही अगले दिन की शूटिंग की लाइनें पढ़ती थीं। गलती होने पर उनकी मां इसमें सुधार करती थीं। यह उनकी मां के सहयोग का ही परिणाम है कि भूमि ने फिल्म में जबरदस्त प्रदर्शन किया है और उनके लहजे की सराहना की जा रही है।
दो महीने तक चली लैंग्वेज क्लास : फिल्म की शूटिंग शुरू होने से पहले करीब दो महीने तक भूमि ने अपनी मां के साथ हरियाणवी काप्रशिक्षण लिया। भूमि ने एक इंटरव्यू में कहा- "सांड की आंख के लिए मैं हरियाणवी लहजा प्राप्त करना चाहती थी और फिल्मांकन और डबिंग के दौरान वास्तविकता लाने के लिए मैंने अपनी मांकी मदद ली। यह मेरे लिए बहुत खासथा और इसके लिए मैं ईश्वर की शुक्रगुजार हूं कि इस दौरान मेरी मां मेरे साथ थीं, जो मुझे मार्गदर्शन देने के साथ-साथ कोचिंग भी दे रहीं थीं।"
परिवार से हुईं प्रेरित :भूमि ने आगे बताया कि चंद्रो दादी के साथ मैंने जो किया है वह दादी के अलावा मेरी नानी और मेरी मां के प्रति मेरा सम्मान है। दादी के चित्रण के लिए मैंनेइन महिलाओं से से बहुत कुछ लिया है। मेरी मम्मी हरियाणा की संस्कृति को जानती हैं। उन्होंने भाषा से लेकर बॉडी लैंग्वेज तक के सुधार में मेरी मदद की। फिल्मांकन के दौरान पूरे 2 महीने तक वे मेरे साथ रहीं और जिस तरह मैंने किया उसके मुताबिक दादी के किरदार को समझने के लिए उन्होंने मेरी मदद की साथ ही इस खूबसूरत अनुभव के दौरान वे मेरी मार्गदर्शक और शक्ति का स्तंभ बनी रहीं। मेरी मां ने फिल्म कोऔर भी यादगार बना दिया। उनके साथ काम करने का मौका स्कूल के बाद पहली बार मिला है। उनके बिना मैं यह सब नहीं कर सकती थी।
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