बॉलीवुड डेस्क. हाल ही में साउथ के मेगास्टार चिरंजीवी की फिल्म 'सैरा नरसिम्हा रेड्डी' रिलीज हुई। चिरंजीवी का कहना है कि आज स्टार्स एक्शन फिल्मों की परिभाषा बदल रहे हैं। इस खास मुलाकात में उनसे एंटी ग्रैविटी एक्शन और रीजनल फिल्मों को लेकर चर्चा हुई। इस बातचीत में उन्होंने बताया कि वे भी ऐसा एक्शन पसंद नहीं, जिसमें हीरो दांतों से गोली के दो टुकड़े कर देता है। उन्होंने 'सैरा...' से वापसी करने के पीछे की वजह भी हमसे शेयर की।
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चिरंजीवी कहते हैं, 'नॉर्थ हो या साउथ, हर तरफ अनसंग हीरोज पॉपुलर होते हैं। आम लोगों से हम आसानी से कनेक्ट कर लेते हैं। 'सैरा नरसिम्हा रेड्डी' जैसे किरदार मास और क्लास दोनों तरह की ऑडियंस को अपना दीवाना बना लेते हैं। इस फिल्म से मैंने कमबैक किया। वैसा करने की एक और वजह थी। वह यह कि खुद बच्चन साहब एक बार रिक्वेस्ट करने पर फिल्म में मेरे गुरु बनने के लिए राजी हो गए थे। वे रियल लाइफ में भी मेरे मेंटर जैसे हैं। अपने कॉलेज के दिनों में मैं उनकी फिल्में देखा करता था। उनकी 'जंजीर' और 'दीवार' के बाद मैं भी तब के दौर में 'प्रतिबंध' जैसी हिंदी फिल्म में कॉप बना और इस फिल्म ने अच्छा बिजनेस किया था।
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साउथ की फिल्मों पर तोहमत लगती रही है कि वहां की फिल्मों में एंटी ग्रैविटी एक्शन होता है। यानी कि एक घूंसा लगा नहीं कि गुंडे और उसके बीसों गुर्गे हवा में। अब ऐसा नहीं है। वहां भी एक्शन काफी रियल रखे जाने लगे हैं। हां, जैसे सुपरहीरो वाली जो फिल्में होती हैं। वहां जरूर एंटी ग्रैविटी एक्शन देखने को मिल जाता है। वह तो हॉलीवुड की फिल्मों में भी होता है। इसमें कोई बुराई नहीं है, अगर आप अपने एक्शन से लोगों को कन्विंस कर ले जाएं। दर्शकों को रोमांच की परम अनुभूति होती रही है, जब स्लो मोशन में गुंडों को लातों और मुक्कों से उछाला जाता है।
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आज की तारीख के स्टार्स एक्शन फिल्मों की परिभाषा बदल रहे हैं। वे भी कभी-कभी लॉजिक को किनारे रखते हैं, पर सीन एकदम इलॉजिकल ही हो जाए, उस कीमत पर नहीं। एक्शन सीन मजाक बन जाए, वैसा तो नहीं होता कहीं। बॉलीवुड की बात करें तो यहां भी एंटी ग्रैविटी एक्शन करना पड़ता है, जैसे 'कृष' फिल्म में था।
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'बाहुबली' के बाद से रीजनल फिल्मों की अपील में खासा विस्तार हुआ है। इसके अनेक फायदे हुए हैं। वहां से बड़ी तादाद में स्टार्स की खेप हिंदी फिल्मों में भी आ रही है। 'बाहुबली' ने बॉर्डर लाइन ब्लर कर दी है। 'केजीएफ' को खासी सफलता मिली। 'अर्जुन रेड्डी' की हिंदी रीमेक इतिहास रचती है। अब नॉर्थ या साउथ सब्जेक्ट जैसा अंतर बचा नहीं।
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बाकी देशवासियों की तरह मैं भी गांधीजी का सम्मान करता रहा हूं। उन्होंने जो सत्य और अहिंसा का रास्ता दिखाया था, उसकी कोई तुलना नहीं है। हमें यह स्वीकारना होगा कि जीवन में शांति की राह उनके बताए रास्ते से प्रशस्त की जा सकती है। आज भी दुनिया में शांति की जरूरत है। तब आजादी बहुत जरूरी थी। अब की पीढ़ी को अच्छे माहौल में जीने का हक मिलना जरूरी है। उसके लिए सभी को कदम उठाने चाहिए।
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