Wednesday, October 16, 2019

स्मिता पाटिल के बेटे प्रतीक बोले- 'काश मैं लड़की होता, तो मां की फिल्म के रीमेक में उनका रोल कर पाता'

बाॅलीवुड डेस्क. 17 अक्टूबर को स्मिता पाटिल की 64वीं बर्थ एनिवर्सरी है। इस मौके पर उनके बेटे प्रतीक बब्बर ने दैनिक भास्कर से अपनी मां से जुड़ी बातें साझा कीं। गौरतलब है कि प्रतीक को जन्म देने के कुछ दिनों बाद ही वह गुजर गई थीं।प्रतीक कहते हैं- मेरी मांएक गिफ्टेड महिला थीं। मिसाल के तौर पर कहा जाता है कि सचिन तेंदुलकर का जन्म क्रिकेट का भगवान बनने के लिए हुआ था। ठीक वैसे ही मेरी मां का जन्म ही अभिनेत्री बनने के लिए हुआ था। उनका इतनी जल्दी चले जाना इंडियन सिनेमा के लिए बहुत बड़ा लॉस रहा।

घूमने के लिए चुराई थी नाना की जीप : प्रतीक बताते हैं- "मां के बारे में तो किस्से कहानियां ही सुनी हैं। फिल्में और उनके इंटरव्यूज की क्लिपिंग देखकर उनके बारे में एक इमेज बना पाया हूं। उनकी हर चीज सीखने लायक है। उनकी हर बात इमोशनल थी। मैं शायद जाहिर न कर पाऊं। ऐसा नहीं है कि सारी चीजें दु:खी करती हैं। उनके बारे में ढेर सारे ऐसे पहलू हैं, जो काफी खुशी देते हैं। दिल और चेहरे में मुस्कुराहट लाते हैं। उनके क्लोज और चाहने वालों से सुना है कि मां बड़ी मस्तीखोर, जिंदादिल और आजाद खयालों वाली थीं। एक बार तो नाना के घर से जीप चुराकर घूमने चली गईं थीं।"

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लड़की होता तो उनकी फिल्म करता : बकौल प्रतीक- वेबड़ी एडवेंचेरस भी थीं। वह सब सुन बड़ा अच्छा महसूस होता रहा है। उनके बारे में हर लफ्ज मेरे लिए बड़ा कीमती है। वैसे तो मुझे उनकी सारी फिल्में पसंद हैं, पर 'शक्ति', 'नमक हलाल' मुझे खासी पसंद हैं। मैं उन्हें परफॉर्मर की तरह जज नहीं कर सकता। मेरा पूरा वजूद तो उन्हीं की देन है। अब उनसे मेरी आंखें मिलती हैं या शक्ल का कौन सा हिस्सा मिलता है, वह तो सामने वाले ही बता सकते हैं। उनका बेटा हूं तो मैं जरा सिमिलर तो लगूंगा ही।

काश यह हो पाता कि मैं लड़की बनकर पैदा होता तो मां की किसी फिल्म के रीमेक में उनका किरदार प्ले करता।बहुत बार लगता है कि काश मां की गोद में सिर रख अपने जज्बात शेयर कर पाता। जब नाना-नानी गुजरे थे तब काफी अकेलापन महसूस हुआ था। पिछले दिनों उनकी मास्टरपीस 'अर्थ' की रीमेक की बात मैंने सुनी थी। मुझे वह ऑफर भी हुई थी।

जरूरी नहीं उनके जाने का गम ही करें : प्रतीक का कहना है-मां के बर्थडे वाले दिन ऐसा नहीं है कि हम सब गमजदा ही हों। ओवरऑल बड़ा ही पॉजिटिव और स्पेशल दिन होता है यह। हम सब परिवार के लोग इकट्ठा होते हैं। सेलिब्रेशन तो नहीं करते, बस डिनर कर लेते हैं। मां के इस जन्मदिन पर तो मैं पुणे में शूट ही कर रहा हूं। मौसी भी बाहर हैं। ऐसे में शूट के बाद रात को मेरी कोशिश है कि पापा से बात करूंगा। अगर वे मुंबई में ही हैं, तो उनसे मिलने जाऊं और साथ बैठ मम्मा को याद करूं।

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prateik babbar remember her mom smita patil on 64th birth anniversary


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